सजल अहमद के 10 लव कोट्स
1) केवल भगवान जानता है कि मैं तुम्हें कितना याद कर रहा हूं। जब आप मुझसे बात नहीं करते हैं, तो मुझे लगता है कि मैं गूंगा था।
1) keval bhagavaan jaanata hai ki main tumhen kitana yaad kar raha hoon. jab aap mujhase baat nahin karate hain, to mujhe lagata hai ki main goonga tha.
2) जब मैं तुम्हें खोने के बारे में सोचता हूं, तो मेरी सांस आती है। मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ, क्या आपको कभी लगता है?
2) jab main tumhen khone ke baare mein sochata hoon, to meree saans aatee hai. main tumase kitana pyaar karata hoon, kya aapako kabhee lagata hai?
3) प्यार का मतलब संक्षारण है, प्यार का मतलब अभिशाप है।
3) pyaar ka matalab sankshaaran hai, pyaar ka matalab abhishaap hai.
4) आप को भूलना मेरे लिए आसान नहीं है,
आपको भूलने से मेरे लिए मृत्यु आसान है।
4) aap ko bhoolana mere lie aasaan nahin hai, aapako bhoolane se mere lie mrtyu aasaan hai.
5) अगर आप किसी को याद करते हैं, तो उसे समझने दो कि आप उसे याद कर रहे हैं। प्यार इसमें गहरा है।
5) agar aap kisee ko yaad karate hain, to use samajhane do ki aap use yaad kar rahe hain. pyaar isamen gahara hai.
6) मुझे तुम्हारी याद आती है, आपके माता-पिता आपको मेरी तरह याद नहीं करते हैं।
6) mujhe tumhaaree yaad aatee hai, aapake maata-pita aapako meree tarah yaad nahin karate hain.
7) अगर आप मुझे मरने के लिए कहते हैं तो मैं मरने के लिए सहमत हूं।
लेकिन अगर आप कहते हैं कि "मुझे भूल जाओ" तो मैं आपको थप्पड़ मार दूंगा।
7) agar aap mujhe marane ke lie kahate hain to main marane ke lie sahamat hoon. lekin agar aap kahate hain ki "mujhe bhool jao" to main aapako thappad maar doonga.
8) प्रेमी प्रेमी से बेहतर हैं!
यदि कोई कुत्ता किसी व्यक्ति के हाथ में भोजन खाता है, तो कुत्ता आसानी से उस व्यक्ति को नहीं भूल सकता है। लेकिन प्रेमी इतने सालों के खर्च के बाद भी, प्रेमी थोड़ी देर के लिए भूल गया।
8) premee premee se behatar hain! yadi koee kutta kisee vyakti ke haath mein bhojan khaata hai, to kutta aasaanee se us vyakti ko nahin bhool sakata hai. lekin premee itane saalon ke kharch ke baad bhee, premee thodee der ke lie bhool gaya.
9) यह कहना आसान है कि "भूल जाओ"
अगर आप आसानी से किसी को भूल सकते हैं, तो "प्यार अवसाद" नहीं होगा।
9) yah kahana aasaan hai ki "bhool jao" agar aap aasaanee se kisee ko bhool sakate hain, to "pyaar avasaad" nahin hoga.
10) प्यार इतना महत्वपूर्ण मुद्दा है। किसी भी समय, किसी भी समय, किसी के लिए, प्यार बहुत जल्द बनाया जा सकता है।
10) pyaar itana mahatvapoorn mudda hai. kisee bhee samay, kisee bhee samay, kisee ke lie, pyaar bahut jald banaaya ja sakata hai.
सजल अहमद के बारे में

Rubiyat Hindi

And, as the Cock crew, those who stood before
The Tavern shouted- 'Open then the Door!
You know how little while we have to stay,
And, once departed, may return no more.'
Hindi Translation by Rajnish Manga given below:
मुर्गे ने जब दी बांग सुन कर हर कोई उठ जाएगा
दर सराये का खुलेगा जब कोई जोर से चिल्लाएगा
तुम जानते तो हो यहाँ पर है ठिकाना कितने दिन
फिर बाद जाने के यहाँ से कौन मुड़ कर आयेगा?
The Tavern shouted- 'Open then the Door!
You know how little while we have to stay,
And, once departed, may return no more.'
Hindi Translation by Rajnish Manga given below:
मुर्गे ने जब दी बांग सुन कर हर कोई उठ जाएगा
दर सराये का खुलेगा जब कोई जोर से चिल्लाएगा
तुम जानते तो हो यहाँ पर है ठिकाना कितने दिन
फिर बाद जाने के यहाँ से कौन मुड़ कर आयेगा?
5 हिंदी की बेहतरीन प्रेम कविताएं

किसी ने बताया नहीं था, पर बचपन में ही हमने जान लिया था कि कविताओं में प्रेम का और प्रेम में कविताओं का बड़ा महत्व है. लिखने वाले कलम चलाते हुए कुदरत और क्रांति तक भी पहुंचे, पर ज्यादातर जिंदगियों में पद्य का आगमन बरास्ते प्रेम ही हुआ. होश संभालने के बाद हमने जो पहली कविता लिखी, वह आधी-अधूरी प्रेम कविता ही थी. साहित्य का संभवत: सबसे लाडला विषय प्रेम ही है.
यहां हम अलग-अलग कवियों की 5 श्रेष्ठ प्रेम कविताएं आपके लिए दे रहे हैं, ताकि जिंदगी में रोपा गया और हिंदी में लिखा गया इश्क ढूंढने के लिए आपको ज्यादा गूगल न करना पड़े.
कविता 1: टूटी हुई बिखरी हुई
कवि: शमशेर बहादुर सिंह
टूटी हुई बिखरी हुई चाय की दली हुई पांव के नीचे पत्तियां मेरी कविता
बाल झड़े हुए, मैल से रूखे, गिरे हुए गर्दन से फिर भी चिपके ....कुछ ऐसी मेरी खाल मुझसे अलग सी, मिट्टी में मिली -सी
दोपहर-बाद की धुप-छाओं में खड़ी इंतज़ार की ठेलेगाड़ियाँ जैसे मेरी पसलियां ... खाली बोरे सूजों से रफ़ू किये जा रहे हैं.... जो मेरी आँखों का सूनापन हैं
ठण्ड भी मुस्कराहट लिए हुए है जो की मेरी दोस्त है .
कबूतरों ने एक ग़ज़ल गुनगुनाई... मैं समझ ना सका, रदीफ़ काफिए क्या थे इतना खफिफ़, इतना हल्का, इतना मीठा उनका दर्द था .
आसमान में गंगा की रेत आइने की तरह हिल रही है . मैं उसी में कीचड़ की तरह सो रहा हूं और चमक रहा हूं कहीं... ना जाने कहाँ .
मेरी बांसुरी है एक नाव की पतवार- जिसके स्वर गीले हो गए हैं छप छप छप मेरा ह्रदय कर रहा है छप.छप छप.
वह पैदा हुआ है जो मेरी मृत्यु को सँवारने वाला है . वह दूकान मैंने खोली है जहां "प्वाइज़न" का लेबुल लिए हुए दवाइयां हँसती हैं - उनके इंजेक्शन की चिकोटियों में बड़ा प्रेम है .
वह मुझ पर हंस रही है, जो मेरे होठों पर तलुए के बल खड़ी है मगर उसके बाल मेरी पीठ के नीचे दबे हुए हैं और मेरी पीठ को समय के बारीक तारों की तरह खुरच रहे हैं
उसके चुम्बन की स्पष्ट परछाइयाँ मुहर बनकर उसके तलुओं के ठप्पे से मेरे मुह को कुचल चुकी हैं उसका सीना मुझको पीसकर बराबर कर चुका है .
मुझको प्यास के पहाड़ों पर लिटा दो जहाँ मैं एक झरने की तरह तड़प रहा हूँ . मुझको सूरज की किरणों में जलने दो - ताकि उसकी आंच और लपट में तुम फौव्वारों की तरह नाचो
मुझको जंगली फूलों की तरह ओस से टपकने दो ताकि उनकी दबी हुई खुश्बू से अपने पलकों की उनिन्दी जलन को तुम भिगा सको, मुमकिन है तो.
हां, तुम मुझसे बोलो, जैसे मेरे दरवाजे की शर्माती चूलें सवाल करती हैं बार - बार .... मेरे दिल के अनगिनत कमरों से
हाँ, तुम मुझसे प्रेम करो जैसे मछलियाँ लहरों से करती हैं ....जिनमें वो फंसने नहीं आती जैसे हवाएं मेरे सीने से करती हैं जिसको गहरे तक दबा नहीं पाती तुम मुझसे प्रेम करो जैसे मैं तुमसे करता हूं
आइनों, रोशनी में घुल जाओ और आसमान में मुझे लिखो और मुझे पढ़ो . आइनों, मुस्कुराओ और मुझे मार डालो . आइनों, मैं तुम्हारी ज़िन्दगी हूँ
उसमें काटें नहीं थे - सिर्फ एक बहुत काली, बहुत लम्बी जुल्फ थी जो ज़मीन तक साया किये हुए थी.... जहाँ मेरे पांव खो गए थे .
मोतियों को चबाता हुआ सितारों को अपनी कनखियों में घुलाता हुआ, मुझ पर एक ज़िन्दा इत्रपाश बनकर बरस पड़ा .
और तब मैंने देखा की मैं सिर्फ एक साँस हूँ जो उसकी बूंदों में बस गयी है जो तुम्हारे सीनों में फांस की तरह ख्वाब में अटकती होगी, बुरी तरह खटकती होगी
मैं उसके पाओं पर कोई सज़दा ना बन सका क्यूंकि मेरे झुकते ना झुकते उसके पांव की दिशा मेरी आँखों को लेकर खो गई थी .
जब तुम मुझे मिले, एक खुला फटा हुआ लिफाफा तुम्हारे हाथ आया बहुत उल्टा-पल्टा - उसमें कुछ ना था - तुमने उसे फेक दिया - तभी जाकर मैं नीचे पड़ा हुआ तुम्हें 'मैं" लगा . तुम उसे उठाने के लिए झुके भी, पर फिर कुछ सोचकर मुझे वहीँ छोड़ दिया . मैं तुमसे यों ही मिल लिया
मेरी कविता की तुमने खूब दाद दी - मैंने समझा तुम अपनी ही बातें सूना रहे हो . तुमने मेरी कविता की खूब दाद दी
तुमने मुझे जिस रंग में लपेटा, मैं लिपटता गया: और जब लपेट ना खुले - तुमने मुझे जला दिया . मुझे, जलते हुए को भी तुम देखते रहे: और वह मुझे अच्छा लगता रहा .
एक खुश्बू जो मेरी पलकों में इशारों की तरह बस गई है, जैसे तुम्हारे नाम की नन्ही-सी स्पेलिंग हो, छोटी-सी प्यारी सी, तिरछी स्पेलिंग,
आह, तुम्हारे दांतों से जो दूब के तिनके की नोक उस पिकनिक में चिपकी रह गई थी, आज तक मेरी नींद में गड़ती है .
अगर मुझे किसी से इर्ष्या होती तो मैं दूसरा जन्म बार बार हर घंटे लेता जाता: पर मैं तो इसी शरीर में अमर हूँ तुम्हारी बरकत
बहुत से तीर, बहुत सी नावें, बहुत से पर इधर उड़ते हुए आये, घूमते हुए गुज़र गए मुझको लिए सबके सब . तुमने समझा की उनमें तुम थे . नहीं, नहीं, नहीं . उनमें कोई ना था . सिर्फ बीती हुई अनहोनी और होनी की उदास रंगीनियां थीं. फक़त.
*****
कविता 2: प्रेत आएगा
कवि: बद्री नारायण
किताब से निकाल ले जायेगा प्रेमपत्र
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खायेगा
चोर आयेगा तो प्रेमपत्र ही चुराएगा
जुआरी प्रेमपत्र ही दांव लगाएगा
ऋषि आयेंगे तो दान में मांगेंगे प्रेमपत्र
बारिश आयेगी तो प्रेमपत्र ही गलाएगी
आग आयेगी तो जलाएगी प्रेमपत्र
बंदिशें प्रेमपत्र ही लगाई जाएंगी
सांप आएगा तो डसेगा प्रेमपत्र
झींगुर आयेंगे तो चाटेंगे प्रेमपत्र
कीड़े प्रेमपत्र ही काटेंगे
प्रलय के दिनों में सप्तर्षि मछली और मनु
सब वेद बचायेंगे
कोई नहीं बचायेगा प्रेमपत्र
कोई रोम बचायेगा कोई मदीना
कोई चांदी बचायेगा कोई सोना
मै निपट अकेला कैसे बचाऊंगा तुम्हारा प्रेमपत्र
*****
कविता/नज़्म 3
शायर: फैज अहमद फैज
वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे
जो इश्क को काम समझते थे
या काम से आशिकी रखते थे
हम जीते जी नाकाम रहे
ना इश्क किया ना काम किया
काम इश्क में आड़े आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आकर हमने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया
*****
कविता 4: हाथ
कवि: केदारनाथ सिंह
उसका हाथ
अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा
दुनिया को
हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए.
*****
नज्म 5: कहीं और मिला कर मुझसे
शायर: साहिर लुधियानवी
ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उलफत ही सही
तुम को इस वादी-ए-रँगीं से अक़ीदत ही सही
मेरे महबूब कहीं और मिला कर मुझसे
बज़्म-ए-शाही में ग़रीबों का गुज़र क्या मानी
सब्त जिस राह पे हों सतवत-ए-शाही के निशाँ
उस पे उलफत भरी रूहों का सफर क्या मानी
मेरी महबूब पस-ए-पर्दा-ए-तशरीर-ए-वफ़ा
तूने सतवत के निशानों को तो देखा होता
मुर्दा शाहों के मक़ाबिर से बहलने वाली,
अपने तारीक़ मक़ानों को तो देखा होता
अनगिनत लोगों ने दुनिया में मुहब्बत की है
कौन कहता है कि सादिक़ न थे जज़्बे उनके
लेकिन उनके लिये तश्शीर का सामान नहीं
क्यूँकि वो लोग भी अपनी ही तरह मुफ़लिस थे
ये इमारत-ओ-मक़ाबिर, ये फ़ासिले, ये हिसार
मुतल-क़ुलहुक्म शहँशाहों की अज़्मत के सुतून
दामन-ए-दहर पे उस रँग की गुलकारी है
जिसमें शामिल है तेरे और मेरे अजदाद का ख़ून
मेरी महबूब! उनहें भी तो मुहब्बत होगी
जिनकी सानाई ने बक़शी है इसे शक़्ल-ए-जमील
उनके प्यारों के मक़ाबिर रहे बेनाम-ओ-नमूद
आज तक उन पे जलाई न किसी ने क़ंदील
ये चमनज़ार ये जमुना का किनारा, ये महल
ये मुनक़्कश दर-ओ-दीवार, ये महराब ये ताक़
इक शहँशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हम ग़रीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़
मेरे महबूब कहीं और मिला कर मुझसे
लड़की ने रखी शादी की ऐसी शर्त कि सन्न रह गए ससुरालवाले
जानें, कितनी संपत्ति छोड़ गए हैं अटल बिहारी वाजपेयी, अब किसका होगा अधिकार?
जब वाजपेयी ने कहा था- मैं अविवाहित पर कुंआरा नहीं हूं...
दाऊद को बड़ा झटका, फाइनेंस मैनेजर गिरफ्तार, पाकिस्तानी पासपोर्ट भी बरामद
यहां हम अलग-अलग कवियों की 5 श्रेष्ठ प्रेम कविताएं आपके लिए दे रहे हैं, ताकि जिंदगी में रोपा गया और हिंदी में लिखा गया इश्क ढूंढने के लिए आपको ज्यादा गूगल न करना पड़े.
कविता 1: टूटी हुई बिखरी हुई
कवि: शमशेर बहादुर सिंह
टूटी हुई बिखरी हुई चाय की दली हुई पांव के नीचे पत्तियां मेरी कविता
बाल झड़े हुए, मैल से रूखे, गिरे हुए गर्दन से फिर भी चिपके ....कुछ ऐसी मेरी खाल मुझसे अलग सी, मिट्टी में मिली -सी
दोपहर-बाद की धुप-छाओं में खड़ी इंतज़ार की ठेलेगाड़ियाँ जैसे मेरी पसलियां ... खाली बोरे सूजों से रफ़ू किये जा रहे हैं.... जो मेरी आँखों का सूनापन हैं
ठण्ड भी मुस्कराहट लिए हुए है जो की मेरी दोस्त है .
कबूतरों ने एक ग़ज़ल गुनगुनाई... मैं समझ ना सका, रदीफ़ काफिए क्या थे इतना खफिफ़, इतना हल्का, इतना मीठा उनका दर्द था .
आसमान में गंगा की रेत आइने की तरह हिल रही है . मैं उसी में कीचड़ की तरह सो रहा हूं और चमक रहा हूं कहीं... ना जाने कहाँ .
मेरी बांसुरी है एक नाव की पतवार- जिसके स्वर गीले हो गए हैं छप छप छप मेरा ह्रदय कर रहा है छप.छप छप.
वह पैदा हुआ है जो मेरी मृत्यु को सँवारने वाला है . वह दूकान मैंने खोली है जहां "प्वाइज़न" का लेबुल लिए हुए दवाइयां हँसती हैं - उनके इंजेक्शन की चिकोटियों में बड़ा प्रेम है .
वह मुझ पर हंस रही है, जो मेरे होठों पर तलुए के बल खड़ी है मगर उसके बाल मेरी पीठ के नीचे दबे हुए हैं और मेरी पीठ को समय के बारीक तारों की तरह खुरच रहे हैं
उसके चुम्बन की स्पष्ट परछाइयाँ मुहर बनकर उसके तलुओं के ठप्पे से मेरे मुह को कुचल चुकी हैं उसका सीना मुझको पीसकर बराबर कर चुका है .
मुझको प्यास के पहाड़ों पर लिटा दो जहाँ मैं एक झरने की तरह तड़प रहा हूँ . मुझको सूरज की किरणों में जलने दो - ताकि उसकी आंच और लपट में तुम फौव्वारों की तरह नाचो
मुझको जंगली फूलों की तरह ओस से टपकने दो ताकि उनकी दबी हुई खुश्बू से अपने पलकों की उनिन्दी जलन को तुम भिगा सको, मुमकिन है तो.
हां, तुम मुझसे बोलो, जैसे मेरे दरवाजे की शर्माती चूलें सवाल करती हैं बार - बार .... मेरे दिल के अनगिनत कमरों से
हाँ, तुम मुझसे प्रेम करो जैसे मछलियाँ लहरों से करती हैं ....जिनमें वो फंसने नहीं आती जैसे हवाएं मेरे सीने से करती हैं जिसको गहरे तक दबा नहीं पाती तुम मुझसे प्रेम करो जैसे मैं तुमसे करता हूं
आइनों, रोशनी में घुल जाओ और आसमान में मुझे लिखो और मुझे पढ़ो . आइनों, मुस्कुराओ और मुझे मार डालो . आइनों, मैं तुम्हारी ज़िन्दगी हूँ
उसमें काटें नहीं थे - सिर्फ एक बहुत काली, बहुत लम्बी जुल्फ थी जो ज़मीन तक साया किये हुए थी.... जहाँ मेरे पांव खो गए थे .
मोतियों को चबाता हुआ सितारों को अपनी कनखियों में घुलाता हुआ, मुझ पर एक ज़िन्दा इत्रपाश बनकर बरस पड़ा .
और तब मैंने देखा की मैं सिर्फ एक साँस हूँ जो उसकी बूंदों में बस गयी है जो तुम्हारे सीनों में फांस की तरह ख्वाब में अटकती होगी, बुरी तरह खटकती होगी
मैं उसके पाओं पर कोई सज़दा ना बन सका क्यूंकि मेरे झुकते ना झुकते उसके पांव की दिशा मेरी आँखों को लेकर खो गई थी .
जब तुम मुझे मिले, एक खुला फटा हुआ लिफाफा तुम्हारे हाथ आया बहुत उल्टा-पल्टा - उसमें कुछ ना था - तुमने उसे फेक दिया - तभी जाकर मैं नीचे पड़ा हुआ तुम्हें 'मैं" लगा . तुम उसे उठाने के लिए झुके भी, पर फिर कुछ सोचकर मुझे वहीँ छोड़ दिया . मैं तुमसे यों ही मिल लिया
मेरी कविता की तुमने खूब दाद दी - मैंने समझा तुम अपनी ही बातें सूना रहे हो . तुमने मेरी कविता की खूब दाद दी
तुमने मुझे जिस रंग में लपेटा, मैं लिपटता गया: और जब लपेट ना खुले - तुमने मुझे जला दिया . मुझे, जलते हुए को भी तुम देखते रहे: और वह मुझे अच्छा लगता रहा .
एक खुश्बू जो मेरी पलकों में इशारों की तरह बस गई है, जैसे तुम्हारे नाम की नन्ही-सी स्पेलिंग हो, छोटी-सी प्यारी सी, तिरछी स्पेलिंग,
आह, तुम्हारे दांतों से जो दूब के तिनके की नोक उस पिकनिक में चिपकी रह गई थी, आज तक मेरी नींद में गड़ती है .
अगर मुझे किसी से इर्ष्या होती तो मैं दूसरा जन्म बार बार हर घंटे लेता जाता: पर मैं तो इसी शरीर में अमर हूँ तुम्हारी बरकत
बहुत से तीर, बहुत सी नावें, बहुत से पर इधर उड़ते हुए आये, घूमते हुए गुज़र गए मुझको लिए सबके सब . तुमने समझा की उनमें तुम थे . नहीं, नहीं, नहीं . उनमें कोई ना था . सिर्फ बीती हुई अनहोनी और होनी की उदास रंगीनियां थीं. फक़त.
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कविता 2: प्रेत आएगा
कवि: बद्री नारायण
किताब से निकाल ले जायेगा प्रेमपत्र
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खायेगा
चोर आयेगा तो प्रेमपत्र ही चुराएगा
जुआरी प्रेमपत्र ही दांव लगाएगा
ऋषि आयेंगे तो दान में मांगेंगे प्रेमपत्र
बारिश आयेगी तो प्रेमपत्र ही गलाएगी
आग आयेगी तो जलाएगी प्रेमपत्र
बंदिशें प्रेमपत्र ही लगाई जाएंगी
सांप आएगा तो डसेगा प्रेमपत्र
झींगुर आयेंगे तो चाटेंगे प्रेमपत्र
कीड़े प्रेमपत्र ही काटेंगे
प्रलय के दिनों में सप्तर्षि मछली और मनु
सब वेद बचायेंगे
कोई नहीं बचायेगा प्रेमपत्र
कोई रोम बचायेगा कोई मदीना
कोई चांदी बचायेगा कोई सोना
मै निपट अकेला कैसे बचाऊंगा तुम्हारा प्रेमपत्र
*****
कविता/नज़्म 3
शायर: फैज अहमद फैज
वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे
जो इश्क को काम समझते थे
या काम से आशिकी रखते थे
हम जीते जी नाकाम रहे
ना इश्क किया ना काम किया
काम इश्क में आड़े आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आकर हमने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया
*****
कविता 4: हाथ
कवि: केदारनाथ सिंह
उसका हाथ
अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा
दुनिया को
हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए.
*****
नज्म 5: कहीं और मिला कर मुझसे
शायर: साहिर लुधियानवी
ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उलफत ही सही
तुम को इस वादी-ए-रँगीं से अक़ीदत ही सही
मेरे महबूब कहीं और मिला कर मुझसे
बज़्म-ए-शाही में ग़रीबों का गुज़र क्या मानी
सब्त जिस राह पे हों सतवत-ए-शाही के निशाँ
उस पे उलफत भरी रूहों का सफर क्या मानी
मेरी महबूब पस-ए-पर्दा-ए-तशरीर-ए-वफ़ा
तूने सतवत के निशानों को तो देखा होता
मुर्दा शाहों के मक़ाबिर से बहलने वाली,
अपने तारीक़ मक़ानों को तो देखा होता
अनगिनत लोगों ने दुनिया में मुहब्बत की है
कौन कहता है कि सादिक़ न थे जज़्बे उनके
लेकिन उनके लिये तश्शीर का सामान नहीं
क्यूँकि वो लोग भी अपनी ही तरह मुफ़लिस थे
ये इमारत-ओ-मक़ाबिर, ये फ़ासिले, ये हिसार
मुतल-क़ुलहुक्म शहँशाहों की अज़्मत के सुतून
दामन-ए-दहर पे उस रँग की गुलकारी है
जिसमें शामिल है तेरे और मेरे अजदाद का ख़ून
मेरी महबूब! उनहें भी तो मुहब्बत होगी
जिनकी सानाई ने बक़शी है इसे शक़्ल-ए-जमील
उनके प्यारों के मक़ाबिर रहे बेनाम-ओ-नमूद
आज तक उन पे जलाई न किसी ने क़ंदील
ये चमनज़ार ये जमुना का किनारा, ये महल
ये मुनक़्कश दर-ओ-दीवार, ये महराब ये ताक़
इक शहँशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हम ग़रीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़
मेरे महबूब कहीं और मिला कर मुझसे
लड़की ने रखी शादी की ऐसी शर्त कि सन्न रह गए ससुरालवाले
जानें, कितनी संपत्ति छोड़ गए हैं अटल बिहारी वाजपेयी, अब किसका होगा अधिकार?
जब वाजपेयी ने कहा था- मैं अविवाहित पर कुंआरा नहीं हूं...
दाऊद को बड़ा झटका, फाइनेंस मैनेजर गिरफ्तार, पाकिस्तानी पासपोर्ट भी बरामद
रचनाकार: कुँवर बेचैन

रचनाकार:
दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना
जैसे बहते हुए पानी पे हो पानी लिखना
कोई उलझन ही रही होगी जो वो भूल गया
मेरे हिस्से में कोई शाम सुहानी लिखना
आते जाते हुए मौसम से अलग रह के ज़रा
अब के ख़त में तो कोई बात पुरानी लिखना
कुछ भी लिखने का हुनर तुझ को अगर मिल जाए
इश्क़ को अश्कों के दरिया की रवानी लिखना
इस इशारे को वो समझा तो मगर मुद्दत बाद
अपने हर ख़त में उसे रात-की-रानी लिखना
- कुँवर बेचैन
दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना
जैसे बहते हुए पानी पे हो पानी लिखना
कोई उलझन ही रही होगी जो वो भूल गया
मेरे हिस्से में कोई शाम सुहानी लिखना
आते जाते हुए मौसम से अलग रह के ज़रा
अब के ख़त में तो कोई बात पुरानी लिखना
कुछ भी लिखने का हुनर तुझ को अगर मिल जाए
इश्क़ को अश्कों के दरिया की रवानी लिखना
इस इशारे को वो समझा तो मगर मुद्दत बाद
अपने हर ख़त में उसे रात-की-रानी लिखना
- कुँवर बेचैन
सजल अहमद का कविता: बदला - 3
एक दिन मेरा समय आ जाएगा
मैं बहुत बड़ा हो जाऊंगा!
आपकी बहुत सारी कल्पना खत्म हो गई है!
आप अपने गौरव से अधिक वजन कम करने में सक्षम नहीं होंगे;
हे मेरे प्यारे आप मेरे शब्दों के वजन के साथ मिश्रित हो जाएगा।
मैं आपके फोन को देखकर रिसीवर को 3 बार भी नहीं ले जाऊंगा।
मैं आपका संदेश भी नहीं खोलूंगा।
मुझे अपने बगल में बैठने दो मत
मुझे गले लगाने से प्यार नहीं होगा!
आप रोएंगे और मैं देखूंगा।
आप ऊतक को अपनी आंखों के आँसू हटाने के लिए चाहते हैं,
मैं आपको अपने महंगी ऊतक को छूने नहीं दूँगा।
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